चीन का पानी उतारने उतरा फिलीपींस- मिला भारत और जापान का साथ !

गौरव त्रिपाठी
गौरव त्रिपाठी

दक्षिण चीन सागर में अब सिर्फ पानी ही नहीं खौल रहा, इरादे भी तप रहे हैं। चीन की बड़बोलापन और जहाज़ी ठसक को अब फिलीपींस ने चुनौती दे दी है। जो देश कभी सिर्फ ‘मछुआरों का झुंड’ समझा जाता था, वो अब सैन्य गठजोड़ों की सीढ़ियाँ चढ़ता, ब्रह्मोस थामे चीन को सीधा घूर रहा है।

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ब्रह्मोस से ब्रेकिंग पॉइंट तक

सबसे पहले फिलीपींस ने भारत से ब्रह्मोस मिसाइल लेकर साफ संकेत दिया — अब ‘फिशिंग ज़ोन’ से आगे की लड़ाई है। ये मिसाइल सिर्फ 290 किमी तक जाती है, पर इसके पीछे का संदेश सीधे बीजिंग तक जाता है:
“हम अब फिश नहीं करेंगे, फायर करेंगे!”

ताइवान से गुपचुप नहीं, अब खुलकर दोस्ती

ताइवान पर चीन की मसल फ्लेक्सिंग के बीच फिलीपींस ने भी कंधे से कंधा मिला लिया है। रक्षा मंत्री टियोडोरो की साफ बात:
“ताइवान की सुरक्षा हमसे जुड़ी है।”
अब रणनीतिक वार्ताएं हो रही हैं, अकादमिक एक्सचेंज चल रहे हैं और ताइवान के जनरल्स को चाय नहीं, चाणक्य नीति पढ़ाई जा रही है।

जापान से युद्धपोत: अबुकुमा क्लास से चीन की नींद हराम

जापान भी वर्ल्ड वॉर के बाद पहली बार युद्धपोत भेजने को तैयार है। छह स्टील्थ विध्वंसक जहाज, जो चीन की रडार पर भी रडार नहीं बनते — जैसे छुपा रुस्तम, लेकिन समुद्र में!

इन जहाजों में होंगे:

  • 20mm क्लोज-इन हथियार

  • 76mm तोपें

  • एंटी-सबमरीन सिस्टम

  • फुल स्टीक साइलेंट स्टील्थ डिज़ाइन

और हाँ, जापान न केवल जहाज भेजेगा, बल्कि फिलीपींस को खुद इसकी ट्रेन्डिंग भी देगा। यानी “हम सिर्फ बर्तन नहीं भेजते, खाना बनाना भी सिखाते हैं।”

चीन का ‘साउथ चाइना सागर’ अब बना ‘सबका अखाड़ा’

चीन को लग रहा था ये सागर उसका निजी स्वीमिंग पूल है, लेकिन अब फिलीपींस, जापान, अमेरिका और ताइवान ने उसमें कूदकर पानी गंदा कर दिया है… बीजिंग कह रहा है “ये क्या बद्तमीज़ी है!” — फिलीपींस मुस्करा रहा है, “इसी को सामरिक रणनीति कहते हैं!”

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